Loving poem in hindi (Mohabbat)
मोहब्बत
मोहब्बत को भी आज ,
हमने आजमाके देखा
दिल की आवाज को ,
लब्जो पर लाकर देखा।
अलग है तलब इसकी ,
आज महसूस है किया
इसकी डोर न संभाल सके तो ,
इसने हमारे जहम को हिला दिया।
पहले ये महफूज लगी तो ,
खुदको इसमें मदहोश कर दिया
पर सिक्के के तो पहलू होते है ,
इसने हमे आज ये भी बता दिया।
पढ़ लिया आखिर आज ,
इसका लेखा जोखा
मोहब्बत को भी आज ,
हमने आजमाके के देखा।
~ अनिकेत जाटव
( 180086 )
~ अनिकेत जाटव
( 180086 )
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